12th fail: जानिए 12th fail movie की सच्ची कहानी अतुल आर्यवर्ती की जुबानी।

12th fail: जानिए 12th fail movie उनके किरदारों और movie के रियल हीरो और हीरोइन की सच्ची कहानी अतुल आर्यवर्ती की जुबानी। 
IPS Manoj Sharma 

IRS sharaddha joshi 



नमस्कार मित्रों — 27 अक्टूबर  एक मूवी रिलीज होती है जो सभी civil services aspirants और किसी भी नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे यूवाओं को अपना दीवाना बना लेती है। यूं तो ये फिल्म दो लोगों के संघर्षों की कहानी बयां करती है, लेकिन एक और पहलू से देखा जाए तो ये मूवी न सिर्फ दो लोगों के संघर्षों की  कहानी को बयां करती है बल्कि ये मूवी दो लोगों के प्रेम और पढ़ाई के बीच सामंजस्य और ईमानदारी को भी बयां करती है 20 करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म का नाम है 12th fail (12वी फेल) जो IPS Manoj sharma और IRS Shraddha joshi के संघर्षों और प्रेम और पढ़ाई के प्रति ईमानदारी को दर्शाती है। इस मूवी के डायरेक्टर Vidhu vinod Chopra और मुख्य कलाकार Vikrant Massey और Medha Shankar हैं।

तो आइए अब हम जानते हैं जानते हैं IPS Manoj Sharma और उनकी पत्नी IRS Shraddha Joshi के संघर्ष भरे जीवन के बारे में।


1.IPS MANOJ KUMAR SHARMA:–    इस मूवी  में VIKRANT MASSEY ने जिस Real life hero, जिसकी संघर्ष भरी कहानी इस मूवी में बयां होती है उसका नाम है मनोज शर्मा।मनोज शर्मा का जन्म 3 जुलाई 1975 को मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से 30 किलोमीटर दूर स्थित जौरा तहसील के बिलग्राम गांव में हुआ था। मनोज शर्मा जी का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था।उनके पिता कृषि विभाग में थे गांव में उनके पास तीन बीघा जमीन थी। उनका परिवार बहुत छोटा था उनका एक बड़ा भाई दादी और उनकी मां एक परिवार में रहती थी। उनका परिवार बहुत ही गरीबी से जूझ रहा था मनोज की उम्र भी अब धीरे-धीरे पढ़ने की हो गई थी इसलिए वह आप स्कूल जाने लगा मनोज पढ़ाई में ज्यादा अच्छे तो नहीं थे लेकिन उन्होंने घर की स्थिति को देखते हुए किसी न किसी तरह 10वीं और 11वीं पास हो गए। 10वीं और 11वीं पास होने के बाद उन्होंने 12वीं में दाखिला कराया तो उन्हें लगा कि किसी न किसी तरह इसे भी पास हो ही जाऊंगा क्योंकि उन्हें लगता था की 12वीं पास करने के बाद तो कहीं ना कहीं छोटी-मोटी नौकरी या यूं कहे कि घर चलाने लायक नौकरी मिल ही जाएगी। बस यही सोच लेकर वे 12th board exam देने के लिए नकल के रूप में पर्ची बनाकर अपने जेब में रख लेते हैं, क्योंकि जिस स्कूल में हुए पढ़ते थे वह किसी विधायक का स्कूल था उस स्कूल के बच्चे हर साल इसी तरह पास होते थे जो कोई भी अध्यापक निरीक्षक के रूप में क्लास में रहता था वह बोर्ड पर answers लिख देता था या बोल देता था और सभी बच्चे अपनी कॉपी पर answers लिख लेते थे और पास हो जाते थे इस बार जब बोर्ड का पेपर हुआ और जब मनोज पेपर देने गए तो तो हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वही हो रहा था, लेकिन भगवान को शायद इस वर्ष कुछ और ही मंजूर था हुआ कुछ यूं की विद्यालय में बच्चों को नकल से पास कराने की बात को किसी ने उस इलाके के DIG को दे दिया। डीआईजी बहुत सख्त और ईमानदार ऑफिसर था। वह गलत चीजों को बर्दाश्त नहीं करता ,जिसके कारण उसने उस  स्कूल को बंद करवाकर सीज़ कर दिया और इसका परिणाम यह हुआ कि उस स्कूल में Board exam दे रहे सभी विद्यार्थी इस बार फेल हो गए। उन्हीं विद्यार्थियों में मनोज शर्मा भी शामिल थे।

2.IRS Shraddha joshi :– इस मूवी में Medha Shankar ने जिस real life heroin,queen का किरदार निभाया है उनका नाम है shradha joshi है।
श्रद्धा जोशी का जन्म 5 मार्च 1978 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था ।ये एक संपन्न और समृद्ध परिवार से थी क्योंकि इनके पिताजी और चाचा जी दोनो ही अध्यापक थे ।
इसीलिए से बचपन से ही पढ़ने में बहुत अच्छी थी । इन्होंने 10th board exam में 13th rank हासिल किया था । श्रद्धा जोशी जी बताती हैं कि उनके पिताजी उन्हें पढ़ने के लिए 3 बजे ही उठा देते थे और कभी – कभी नहाने के लिए भी कह देते थे ताकि पढ़ते समय नींद न आए। 


मनोज शर्मा और श्रद्धा जोशी के संघर्षों की कहानी (a very motivational story of MANOJ SHARMA and SHRADDHA JOSHI)

12वी fail होने के बाद मनोज के मुश्किलें और बढ़ गई एक तरफ मनोज 12वीं में फेल हो गए और दूसरी तरफ उनके पिताजी की नौकरी छूट गई। उन्हें नौकरी से इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि वह घूसखोरी और अन्याय खिलाफ थे। इस प्रकार उनके परिवार की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई । अब मनोज और उसका भाई दोनों ने घर चलाने के लिए इधर-उधर का काम करना शुरू किया कभी किसी के घर मजदूरी करते तो कभी क्रिकेट में कमेंट्री करते थे। ऐसे ऐसे छोटे-मोटे कामों को करके उन्होंने कुछ समय में पैसे इकट्ठे करके एक। 2nd hand auto  खरीद लिया अब दोनों भाई जीविका चलाने के लिए टेंपो चलाते थे । लेकिन एक दिन उनकी लड़ाई एक बस वाले से हो गई । दरअसल उनके इनके टेंपो चलाने से यात्री बस में कम जाया करते थे इसलिए बस वाले ने मनोज और उनके भाई से लड़ाई की जिसके कारण इनके बड़े भाई ने बस वाले को चप्पल से मार दिया। उस बस का मालिक शहर का विधायक था इसलिए उसने मनोज और उसके भाई को झूठे केस में जेल में डलवा दिया मनोज ने कई जगह मदद की गुहार लगाई लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी अंत में जब डीआईजी साहब थाने आए तो मनोज ने उनको पूरी बात बताइए तो डीआईजी साहब ने उन लोगों को छोड़ दिया उसे थाने में इतने भ्रष्टाचारी अधिकारियों के बीच एक ईमानदार अधिकारी को देखकर मनोज उस DIG से प्रेरित हुआ और डीआईजी से कहा सर मुझे आप जैसा बनना है तो डीआईजी ने कहा बन सकते हो लेकिन उसके लिए तुम्हें चीटिंग छोड़नी पड़ेगी और मेहनत करनी होगी कुछ दिनों बाद मनोज ने फिर से 12वीं का पेपर दिया और इस बार उसने अपने मेहनत से पास कर लिया। 12वीं पास होने के बाद जब मनोज आगे पढ़ने के लिए शहर जाने की बात अपने घर वालों से कहता है तो उसके घर वाले कहते हैं कि इतना पैसा कहां है कि शहर जाकर पढ़ोगे तब उनकी दादी उन्हें अपने पेंशन से के बचे हुए पैसे देकर कहती हैं कि जाओ और अब तुम पढ़कर और अधिकारी बनकर तभी वापस आना मनोज अपनी दादी के पैसे को हाथ में लेकर और आंखों में अधिकारी बनने का सपना लेकर बस पकड़ कर शहर  चला जाता है लेकिन शहर पहुंचने से पहले रास्ते में वह सो जाता है जिसके कारण उसके सारे पैसे और सामान चोरी हो जाते हैं शहर पहुंचने के बाद मनोज को पता चलता है कि इस समय सभी कोचिंग बंद हो चुकी हैं उस समय ऐसा लगता था कि मानो मनोज के जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो क्योंकि एक अनजान शहर में बिना  पैसों के कैसे गुजारा हो सकता है। कुछ दिनों तक मनोज ने अपनी भूख को सहन किया लेकिन जब दो दिन के बाद भूख सहन नही हुई तो मनोज  एक दुकान पर जाकर खाना मांगता है और दुकानदार भी भला आदमी था जो मनोज को खाना दे देता है । उस समय मनोज की हालत ऐसी थी जैसे आगे कुआं और पीछे खाई क्योंकि शहर में सभी कोचिंग बंद हो गई थी और घर लौटने के लिए मनोज के पास पैसे भी नहीं थे ।कुछ देर बाद वहीं एक लड़का आता है और कोचिंग के लिए बात कर होता है कि दिल्ली में कोचिंग चल रही होती हैं फिर मनोज उस लड़के से बात करके किसी न किसी तरह दिल्ली इस लड़के के साथ चला जाता है । वहां जाकर वो एक upsc aspirants से मिलता है जो खुद एक upsc aspirants bhi था और एक अच्छा टीचर बहुत से लोग उससे पढ़ते थे कुछ दिनों तक मनोज उसी लड़के से पढ़ते रहा फिर मनोज को पता चला कि Dhristi IAS कोचिंग के बारे में वह वहां जाता है और क्लास ज्वाइन करना चाहता है लेकिन मनोज के पास पैसे न होने के कारण वो वहां क्लास ज्वाइन नही कर पाते हैं फिर वे वहीं उसी कोचिंग में चपरासी का काम करने लगते हैं। वहीं एक दिन उन्हें श्रद्धा भी आती है कोचिंग ज्वाइन करने के लिए और वहीं पहली बार श्रद्धा और मनोज की मुलाकात होती है और बातों ही बातों में श्रद्धा को पता चलता है कि मनोज ने prelims बिना किसी कोचिंग को ज्वाइन किए ही निकाल दिया है । वहीं से श्रद्धा मनोज को थोड़ा attract करता है।कुछ दिन बाद मनोज वह नौकरी छोड़ कर एक कबाड़ खाने में नौकरी करने लगता है कुछ दिन बाद उनके मालिक उन्हें झूठे चोरी के इल्जाम में उन्हें नौकरी से निकाल देते हैं फिर वे एक आटा चक्की पर काम करते थे  चक्की पर काम करने में वे बहुत कम ही पढ़ाई कर पाते थे। लेकिन वो क्या करते उनकी भी मजबूरी थी इसी बीच उन्हें श्रद्धा से प्यार हो गया और वो ये बात श्रद्धा को जब बताए तो श्रद्धा ने उन्हें डांटा और कहा अभी पढ़ाई पर ध्यान लगाओ ।  श्रद्धा मनोज जी की लाइफ में और उनके सफल होने में उन्होंने भी एक अहम भूमिका निभाई क्योंकि उन्होंने उन्हें अपनी नोट्स भी दी उन्हें पढ़ाई के लिए हमेसा उत्सुक भी किया करती थी दोनो ही एक दूसरे के सफलता में दोनो का ही बड़ा योगदान है ।कुछ दिन बाद मनोज mains निकाल लेते हैं और श्रद्धा deputy collector बन जाती हैं । उसके बाद कुछ दिनों के बाद मनोज शर्मा भी interview के गए और वे सफल भी हुए । फिर मनोज शर्मा ने श्रद्धा से शादी भी कर ली और कुछ दिन बाद मनोज अपनी ट्रेनिंग पर जाते हैं लेकिन अब भी वे श्रद्धा का साथ नही छोड़ते हैं और श्रद्धा को IRS बनाने की पूरी कोशिश करते रहते हैं जैसे जब वे फोन करते थे तो वे श्रद्धा से प्यार questions और answers सुनते थे और भी कई प्रकार से उनकी हेल्प करते थे।कुछ दिनों के बाद श्रद्धा भी IRS officer बन जाती हैं। इतनी मुश्किलों के बाद भी आखिर तक मेहनत करके दोनो लोगों ने अपनी अपनी तकदीर बदल दी ।


मनोज शर्मा और श्रद्धा जोशी के पढ़ाई और प्यार का सामंजस्य (love and study balancing of shradda and Manoj):–

जैसा कि आज कल हम देखते हैं की आज कल के युवा प्यार के चक्कर में पढ़ाई को छोड़ देते हैं या पढ़ाई के चक्कर में प्यार को मतलब की न तो उनका करियर सही से बन पाता और ना ही उन्हें उनका प्यार मिल पाता है । हमें हमारे लिए जितना महत्वपूर्ण हमारा करियर है उतना ही मतवपूर्ण हमारा रिश्ता भी होता है उसे भी संभालना चाहिए जैसे की मनोज और श्रद्धा ने संभाले रखा हर परिस्थिति में ।इन दोनों की लाइफ में इतनी मुश्किलें आई फिर भी इन दोनो ने एक होकर सभी मुश्किलों का सामना किया, और अपने रिश्तों को बनाए रखा।



अतः हमें मनोज और श्रद्धा के जीवन से यही सीख मिलती है की हमें कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए हमें कभी भी हार नहीं मानना है चाहे युद्ध का मैदान हो या रिश्तों का कभी किसी को पीछे नहीं छोड़ना है  क्योंकि "रहिमन धागा प्रेम का मत तोरऊ चटकाए,टूट से फिर न जूरे जुरे गांठ परि जाए।” मतलब हमे प्रेम का रिश्ता कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यह रिश्ता कभी तोड़ने से नही जुड़ता और यदि जुड़ भी जाता है तो उसमे गांठ पर जाती है।


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