प्रेमचंद : हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की संघर्ष भरी कहानी।।
प्रेमचंद का जीवन परिचय :–
प्रेमचंद का जन्म वाराणसी जिले के लम्हे ग्राम में 31 जुलाई 1880 ई को हुआ था। अपने B.A. तक शिक्षा प्राप्त की। प्रेमचंद का बचपन कठिनाइयों में व्यतीत हुआ। जीवन की विषम परिस्थितियों में भी उनका अध्ययन – क्रम चलता रहा । उन्होंने उर्दू का भी विशेष ज्ञान प्राप्त किया । जीवन संघर्ष में जूझते हुए वह एक स्कूल अध्यापक से सब इंस्पेक्टर के पद पर पहुंचे। हुए कुछ समय तक काशी विद्यापीठ में अध्यापक भी रहे। उन्होंने कई साहित्यिक पत्रों का भी संपादन किया। जिसमे ‘हंस’ प्रमुख था । आत्म गौरव के साथ उन्होंने साहित्य के उच्च आदर्शों की रक्षा की। उनका बचपन का नाम ‘धनपतराय’ था किंतु उर्दू में वह ‘नवाबराय’ लिखते थे वह उर्दू में नवाब राय के नाम से कहानी भी लिखते थे। वह अंग्रेजी सरकार के को भजन भी रहे। उन्होंने प्रेमचंद नाम से हिंदी में सामाजिक कहानियों की रचना की तथा शीघ्र ही लोकप्रिय कथाकार हो गए हिंदी पत्र पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का अधिक महत्व दिया। उपन्यासकार कहानीकार संपादक अनुवादक नाटक का निबंध लेखन आदि के रूप में प्रेमचंद प्रतिष्ठित हुए। उनके कृत में जीवन सत्य का आदर्श रूप उभर कर आया है परिणाम स्वरुप हुए सार्वभौम कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए। 8 अक्टूबर 1936 ई को आपका निधन हो गया।
प्रेमचंद जी की प्रमुख कृतियां :–
प्रेमचंद जी की कहानी संग्रह :– सप्त सरोज, नवनिधि, प्रेमपूर्णा, बड़े घर की बेटी, लाल फीता, नमक का दारोगा, प्रेम पचीसी, प्रेम–सूदन, प्रेम द्वादशी, प्रेम प्रमोद , प्रेम तीर्थ , प्रेम चतुर्थी, प्रेम प्रतिज्ञा, सप्तसुमन, प्रेम पंचमी, प्रेरणा, समर यात्रा, पंच प्रसून, नवजीवन आदि।
उपन्यास :– सेवासदन, प्रेमाश्रम, निर्मला, रंगभूमि, कायाकल्प, गबन, गोदान, कर्मभूमि, मंगलसूत्र (अपूर्ण) आदि।
नाटक :– संग्राम , कर्बला, प्रेम की वेदी आदि
कथा –शिल्प एवम भाषा शैली :– प्रेमचंद का विशाल कहानी साहित्य मानव प्रकृति मानव इतिहास तथा मानवीयता के हृदय स्पर्शी एवं कला पूर्ण चित्रों से परिपूर्ण है। उन्होंने सांस्कृतिक उन्नयन राष्ट्र सेवा आत्म गौरव आदि के सजीव एवं रोचक चित्रण के साथ-साथ मानव के वास्तविक स्वरूप को उभारने में अपूर्व कौशल दिखलाया है उनकी कहानियों में दमन शोषण एवम अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद की गई है तथा सामाजिक विकृतियों पर व्यंग के माध्यम से प्रहार किया गया है।उनकी कहानियों में लोक जीवन के विविध पक्षों का मार्मिक चित्रण किया गया है। कथावस्तु का गठन समाज के विभिन्न धरातलों धरातलों को स्पर्श करते हुए यथार्थ जगत की घटनाओं भावनाओं चिंतन मनन एवं जीवन संघर्षों को लेकर चलता है। शतरंज के खिलाड़ी पुरुष की रात रानी सारंगा तथा आत्मा राम आपकी प्रसिद्ध कहानी है। प्रेमचंद के पात्रों का मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। साथ ही मानव की अनुभूतियों एवं संवेदनाओं को भी महत्व दिया है। वे मानव मन के सूक्ष्मतम भावों का आकर्षक चित्र उभारने में सफल हुए हैं। प्रेमचंद की भाषा शैली के क्षेत्र में उदार एवं व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया है मुहावरों एवं लोकोक्तियां की लाक्षणिक तथा आकर्षक योजना ने उनकी अभिव्यक्ति को सशक्त बना दिया है उनकी कहानियों के वास्तविक सौंदर्य का मुख्य आधार उनके पत्रों की सहजता है जिसके लिए प्रेमचंद जी ने जन भाषा का स्वाभाविक प्रयोग किया है। उनकी भाषा में व्यवहारिकता एवं साहित्यिकता का संजीव समन्वय है। भाषा शैली सरल रोचक प्रवाह एवं प्रभावपूर्ण है। कहानी के विकास एवं सौंदर्य के अनुकूल वातावरण तथा परिस्थितियों के कलात्मक चित्र पाठक के हृदय पर अमित छाप छोड़ते हैं प्रेमचंद की कहानियों का लक्ष्य मानव जीवन के स्वरुप उनकी गति तथा उनके सत्य की व्याख्या करना है जिसमें उन्हें पूर्ण सफलता मिली है।प्रेमचंद की कहानी कला की मौलिकता गतिशीलता एवं व्यापकता के हिंदी कहानी को केवल समृद्धि ही नहीं बनाया वर्णन उसके विकास एवं विस्तार के अगणित स्रोतों का उद्घाटन भी किया है।
अतः इस प्रकार प्रेमचंद जी का जीवन परिचय पूर्ण होता है।

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